Saturday, 2 September 2017

33 करोड या 33 प्रकार के देवता निर्णय

तैंतीस करोड देवता ही सारतः तैंतीस प्रकार के कहे गये हैं और यह तैंतीस प्रकार के देवता भी वस्तुतः केवल तीन प्रकार के  जाने गये हैं  और ये तीन प्रकार के देवता भी वस्तुतः केवल एक ही प्रकार से  प्रकृत हैं ।

यह एक देव ही तैंतीस करोड़ में अभिहित होकर  सभी का परमोपास्य है । 

#आकाशात्पतितं_तोयं_यथा_गच्छति_सागरम् ।
#सर्वदेवनमस्कारः_केशवं_प्रति_गच्छति ।।

इस प्रकार हमने पूर्व की ही भॉति पुनः ये व्यर्थ के दुष्प्रचारों को नियन्त्रित कर दिया है ।
देवता रहस्य -

हमारे सनातन वैदिक धर्म में अनगिनत  देवता ही  सार रूप में तैंतीस करोड़ देवताओं के रूप में अभिहित हुए हैं , ये  तैंतीस करोड देवता ही सारतः तैंतीस प्रकार के कहे गये हैं एवं  यह तैंतीस प्रकार के देवता भी वस्तुतः केवल तीन प्रकार के  जाने गये हैं  और ये तीन प्रकार के देवता भी वस्तुतः केवल #एक ही प्रकार से  प्रकृत हैं - यह इस हमारे सनातन वैदिक धर्म में सृष्टि का रहस्य अस्मदाचार्योपदिष्ट हुआ है । 

यह एक देव ही तैंतीस करोड़ में अभिहित होकर  सभी का परमोपास्य है । 

जैसे आकाश से गिरा हुआ जल सागर की ओर चला जाता है, उसी प्रकार समस्त देवताओं को किया गया नमस्कार परब्रह्म परमात्मा के प्रति ही प्राप्त होता है-

#आकाशात्पतितं_तोयं_यथा_गच्छति_सागरम् ।
#सर्वदेवनमस्कारः_केशवं_प्रति_गच्छति ।।

इस प्रकार  हमने पूर्व की ही भॉति पुनः ये व्यर्थ के दुष्प्रचारों को सूत्र में बॉधकर नियन्त्रित कर दिया है ।

त्रयस्त्रिंशद्देवा एव त्रयस्त्रिंशत् कोटिसंख्याका: अथ च ते त्रयश्त्रिंशद्देवा एव तिस्रेत्युच्यते , तथाहि - *तिस्र एव देवता* इति नैरुक्ताः । अपि च त एवान्ते एकमेवावशिष्यते | तथाहि श्रुति: - *एक सद् विप्रा वहुधा वदन्ति |* विषयेsस्मिन् याज्ञवल्क्यऋषेर्वचनमुपनिषद्यवलोकनीयम् , सविस्तरं प्रतिपादितम् तैः ।

।। जय श्री राम ।।

।। जय श्री राम ।।

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