आजकल देवता और असुर क्यों नहीं प्रकट होते ?
सुनिये ! मानव समाज में तमोगुण और तज्जन्य मालिन्य , अपवित्रता और अशुचिता बढ़ जाने से परिवार , ग्राम , नगर, जनपद, प्रदेश और देश में सर्वत्र आसुर साम्राज्य है ।
असुरों से घृणा करने वाले पवित्र देवता उनके सम्मुख प्रकट होना तो दूर की बात, देखना तक नहीं चाहते और जहॉ देवता ही नहीं रहते , वहॉ असुरों को भी सम्मुख आने की आवश्यकता ही नहीं रहती ।
जो मानव शास्त्रीय आहार - विहार नियमों का पालन करते हैं, शुद्ध कुलीन है, नित्य - नैमित्तिक कर्मों का विधिवत् सम्पादक है , मनसा -वाचा-कर्मणा जिनके व्यवहार में एकता है , व्यवहार एवं मर्यादाओं को जानने वाले और छल, कपट, ढोंग, पाखण्ड , परद्रोह , असूया आदि से परे हैं , बुद्धि रूप गुहा में संस्थित धर्म के मर्म के पारगामी हैं,
ऐसे दुर्लभ मनुष्य आज भी अगोचर दैवीय शक्तियों के दर्शन, भाषण, परिपूर्ण सम्पर्क एवं सन्निधि से कदापि दूर नहीं होते है ।
आद्यशंकराचार्य
।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।
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