Saturday, 6 April 2019

परमात्मा का शासन ही श्रेष्ठ है

जो ज्ञान महंगी महंगी पुस्तकें खरीदकर  ,  तरह तरह के   गुरुओंके पास जाकर  नहीं मिल पाता ,  परमात्मा की कृपा  होने पर  वो  ही  सरलता से  मुखपत्रिकापटल (फेसबुक) , चलचित्र प्रसार स्थलों (  यू ट्यूब )  जैसे अप्रत्याशित    माध्यमों से   भी  घर बैठे बैठे  ही मिल  सकता है ।

लोग तो परमात्मा के ज्ञान को  भी   व्यापार बना के  बैठ गये हैं । पर   परमात्मा  अपने  ज्ञान को   बिना स्वार्थ के  स्वयं  विविध माध्यमों से  निमित्त बनाकर   बरसा देते हैं ।  

सरकारी शासन में तो   उनके राज्य में पानी  भरने  का भी शुल्क ( बिल ) भरना पड़ता है ,   पर  परमात्मा का  शासन  सरकारी शासन से  बिल्कुल अलग है ,  वे जब वर्षा करते हैं    तो घरों  में  शुल्क (बिल) नहीं आता । 

इन सब  घटनाओं को गहराईपूर्वक देखने पर ये स्पष्ट हो जाता है कि परमात्मा ही वस्तुतः  अपने शुद्ध ज्ञान के,   अपने धर्म के संरक्षक व संवर्धक हैं ,   वरना  मनुष्य तो,   उनके पास जो धरोहर  बची  होती   है  , उसे भी  बिगाड़  के   नाश करते देर नहीं करते ।

नवसंवत्सर की शुभकामनाएं ।।

।। जय श्री राम ।।

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