जो ज्ञान महंगी महंगी पुस्तकें खरीदकर , तरह तरह के गुरुओंके पास जाकर नहीं मिल पाता , परमात्मा की कृपा होने पर वो ही सरलता से मुखपत्रिकापटल (फेसबुक) , चलचित्र प्रसार स्थलों ( यू ट्यूब ) जैसे अप्रत्याशित माध्यमों से भी घर बैठे बैठे ही मिल सकता है ।
लोग तो परमात्मा के ज्ञान को भी व्यापार बना के बैठ गये हैं । पर परमात्मा अपने ज्ञान को बिना स्वार्थ के स्वयं विविध माध्यमों से निमित्त बनाकर बरसा देते हैं ।
सरकारी शासन में तो उनके राज्य में पानी भरने का भी शुल्क ( बिल ) भरना पड़ता है , पर परमात्मा का शासन सरकारी शासन से बिल्कुल अलग है , वे जब वर्षा करते हैं तो घरों में शुल्क (बिल) नहीं आता ।
इन सब घटनाओं को गहराईपूर्वक देखने पर ये स्पष्ट हो जाता है कि परमात्मा ही वस्तुतः अपने शुद्ध ज्ञान के, अपने धर्म के संरक्षक व संवर्धक हैं , वरना मनुष्य तो, उनके पास जो धरोहर बची होती है , उसे भी बिगाड़ के नाश करते देर नहीं करते ।
नवसंवत्सर की शुभकामनाएं ।।
।। जय श्री राम ।।
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