Saturday, 27 April 2019

शास्त्र का विधि निषेध किसके लिए है?

शास्त्रीय विधि-निषेध  शास्त्रनिष्ठ -प्रज्ञावानों  के लिये है -

ये सब जो विचार हम यहॉ प्रकट करते हैं कि ऐसा शास्त्रसम्मत है, ऐसा अनुचित ,  वे सब शास्त्र में श्रद्धा रखने वाले प्रज्ञावान् पुरुषों  के लिये हैं,    शास्त्र के नाम पर स्वार्थ साधने वाले उन्मत्तों के लिये नहीं  ।

#शंका- शास्त्र में श्रद्धा रखने वाले प्रज्ञावानों को उचित अनुचित बताना कितना संगत है , क्योंकि वे तो प्रज्ञासम्पन्न हैं , शास्त्र में श्रद्धा रखते हैं ।  वे तो  बिना उद्देश्य या बिना प्रयोजन के कहीं प्रवृत्त हो ही नहीं सकते !

#समाधान -   नहीं , ऐसा नहीं है ।  शास्त्र में श्रद्धा रखने वाले  प्रज्ञावान् पुरुषों की भी कुछ प्रवृतियां बिना उद्देश्य एवं बिना प्रयोजन की देखी जाती हैं  ।

यदि ऐसा ना हो तब निष्प्रयोजन प्रवृति पर धर्मशास्त्र  ऐसा अंकुश न लगाते  -  #न_कुर्वीत_वृथा_चेष्टाम् ।  (मनु० ४।६३)

उन्मत्त व्यक्तियों की प्रवृत्ति को रोकने के लिए उक्त मनु वचन की सार्थकता नहीं मानी जा सकती,  क्योंकि इस वचन के द्वारा भी उन्हें व्यर्थ चेष्टा से उपरत नहीं किया जा सकता , क्योंकि उन्हें न तो इस वचन का अर्थ बोध होगा और न वे  आज्ञा का पालन ही करेंगे ।

दूसरे शब्दों में कहें तो , -

शास्त्र में निष्ठा रखने वाले  प्रज्ञावानों को  विद्वान्  ब्राह्मण अनुशासित  करते हैं, और शास्त्रों में निष्ठा  न रखने वाले प्रज्ञाहीन  उन्मत्त पुरुषों को  बलवान्  क्षत्रिय ।  शास्त्र और शस्त्र से ही प्रजा में अनुशासन की सम्यक् प्रतिष्ठा हो पाती है । अतः  गुरुकुलीय  विधा से   कुलीन राजपूत  क्षत्रियों  के अभ्युदय की  आज राष्ट्र में   नितान्त आवश्यकता है ।

।। जय श्री राम ।।

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