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जन्म से ही क्यों होते हैं ब्राह्मण, कर्म से क्यों नहीं हो सकते ?
#उत्तर - जो जन्म से ब्राह्मण होते हैं , वे कर्म से ही ब्राह्मण हुए होते हैं । किन्तु कर्म का सिद्धान्त न जानने से तथाकथित बुद्धिजीवी लोग भ्रमित हो गये हैं ।
देखो ऐसे समझो -
हम जो भी पाप या पुण्य कर्म करते हैं , वे कर्म एक बीज की भॉति होता है ।
वो बीज समय के गर्भ में संचित हो जाता है और फिर हमें ही फल बनकर मिलता है।
ये है प्रकृति का नियम ।
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जो कर्म हम अभी वर्तमान् काल में कर रहे हैं , उसे कहते हैं क्रियमाण कर्म ।
और कर्म के फल को ही कहते हैं प्रारब्ध या भाग्य ।
क्रियमाण ---->( संचित )----->प्रारब्ध(फल) /भाग्य ।
बीज ------------------------------------> फल
जो कर्म आज हम कर रहे हैं, उसका फल आने वाले कल में हमें मिलेगा । और वो फल ईश्वर ही हमें देता है ।
कर्म का फल तीन रूप में मिलता है -
जाति , आयु और भोग ।।
इसीलिये ब्राह्मण जन्म से ही होते हैं ।
चार वर्ण भगवान् ने बनाये हैं - अर्थात् जीव को जाति रूपी कर्मफल भगवान् ने ही दिये हैं ।
।। जय श्री राम ।।
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