गणितात् सिद्धितः कालः काले तिष्ठति देवताः। वरमेकाहुतिः काले अकाले कोटिसंख्यया।। कालातीते च यः कुर्यात् श्राद्धं होमं जपं तथा। व्यर्थं भवति तत् सर्वमपमृत्युं विषं तथा।।
कालातिक्रमदोषे तु राक्षसस्तस्य देवता। अशुचिर्यत्र होमेऽपि पिशाचस्तस्य देवता।तस्मात् काले शुचिर्द्रव्ये होतव्यं नान्यथा क्वचित्।।
Thursday, 10 January 2019
हवन समय पर ही होना चाहिए
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