अपने ही पति से जिसे निजी अहंकार समस्या (इगो प्रॉब्लम) हो , उसे भ्रष्ट स्त्री समझना चाहिये ।
मन्दोदरी जी का नाम हमारी संस्कृति में स्मरण किया जाता है , उनको कभी रावण से निजी अहंकार समस्या न हुई ।
///पत्नी को सीता होने की बात तब कहिये जब पति राम हो , ///
- ये इन्हीं भ्रष्ट स्त्रियों और इन जैसे ही अन्य मूर्खों का कुतर्क है । क्योंकि पति राम हो, ये तो अच्छी ही बात है , पर कदाचित् न भी हो , तब भी पत्नी को मन्दोदरी अवश्य होनी चाहिये । ये है वैदिक संस्कृति ।
#अनृतं_साहसं_माया_मूर्खत्वमतिलोभिता।
#अशौचत्वं_निर्दयत्वं_स्त्रीणां_दोषाः_स्वभावजा:।।
स्त्री पुरुष के समानाधिकार की बातें करने वाले आजकल के छद्म लम्पटों को ये अन्याय लगेगा , पर प्राणियों के जन्मादि के मूल में कर्मफल के सिद्धान्तों को जानने वाले , सांख्यादि विज्ञानपरक शास्त्रों के पारगामी मनीषियों की दृष्टि में यही न्याय संगत तथ्य है ।
और हॉ !
इस सिद्धान्त का ये अभिप्राय बिल्कुल भी नहीं है कि स्त्रियों के दमन की मानसिकता को बढ़ावा दिया गया है , नहीं ; वरन् अभिप्राय ये है कि स्त्रियों से पुरुषों के सापेक्ष आशा और अपेक्षा अधिक है । स्त्रियों के प्रति इससे अधिक बढ़प्पन और किस संस्कृति में मिलेगा भला ?
।। जय श्री राम ।।
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