Tuesday, 25 September 2018

मनुष्य पहले पशु था यह घोर भ्रान्त धारणा है

मनुष्य के स्वाभाविक ज्ञान में नैमित्तिक ज्ञान के सहयोग के बिना कोई उन्नति नहीं होती है ।

चिरकाल से समुन्नत जातियों के संसर्ग से दूर रहने के कारण, आज भी पशु-जीवन  बिताने वाली जङ्गली जातियॉ इस बात का प्रत्यक्ष साक्ष्य दे रही हैं ।

अतः मनुष्य आरम्भ में पशु समान था, शनैः शनैः उसके ज्ञान का विकास हुआ - यह  घोर भ्रान्त धारणा मात्र है ।

।। जय श्री राम ।।

No comments:

Post a Comment

पूजा आदि में सिर नहीं ढंका चाहिए

शास्त्र प्रमाण:- उष्णीषो कञ्चुकी चात्र मुक्तकेशी गलावृतः ।  प्रलपन् कम्पनश्चैव तत्कृतो निष्फलो जपः ॥ अर्थात् - पगड़ी पहनकर, कुर्ता पहनकर, नग...