ढोल गंवार ० चौपाई पर अज्ञानी अर्थविकृतिकारों का भ्रमोच्छेदन -
#संरक्षक_का_महत्त्व -
संरक्षक को ही अनुशासित करने का अधिकार होता है । ☝️
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ढोल , गंवार, शूद्र , पशु और नारी -
ये पॉचों व्यक्तित्व उन अपने - अपने सेव्य अधिकृत विद्वान् के द्वारा सही अनुशासन में रखने के योग्य होते हैं , जिनसे संरक्षित ये होते हैं ।
#ताड़ना = अनुशासन में रखना / प्रताड़ित करना /डॉटना / दंडित करना/ शासित करना आदि अनेक अभिप्राय हैं ।।
#ढोल को कितना कसना है कितना ढीला रखना है - ये काम ढोल के संरक्षक विद्वान् ढोलकिया का है ।
#गंवार को कैसे समझाना है - ये काम सभ्यता को जानने वाले एक सभ्यता के संरक्षक विद्वान् का है!
#शूद्र से कैसे उसका धर्म पालन करवाना है - ये काम उसके सेव्य व संरक्षक एक धर्मज्ञ द्विज का है ।
#पशु को कहॉ कैसे चराना है - ये काम उस पशुके संरक्षक चरवाहे का है !
#नारी को कैसे नियन्त्रण में रखना है- ये काम उसके संरक्षक पति का है ।
।। जय श्री राम ।।
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