श्री पद्मपादाचार्य जी रामेश्वरम् तीर्थ दर्शन करने गये तो एक विद्वान् शिष्य ने उनसे पुछा, ' रामेश्वरः ' पद में कौन-सा समास हैं ?
शिष्य का प्रश्न सुनकर श्री पद्मपादाचार्य जी ने कहा - ' रामेश्वरः ' पद तीन प्रकार के समास द्वारा सिद्ध हो सकता हैं ।
श्री रामचन्द्र ने - ' रामस्य ईश्वरः ' (श्री राम का ईश्वर - महादेव) अर्थात् षष्ठी तत्पुरुष समास कहा हैं ।
स्वयं महादेव ने - ' रामः ईश्वरः यस्य सः ' (श्री राम जिनका ईश्वर हैं वह - महादेव) अर्थात् बहुव्रीहि समास कहा हैं ।
इन्द्रादि देवगण ' रामश्चासौ ईश्वरश्च ' (जो राम, वही ईश्वर) अर्थात् कर्मधारय समास मानते हैं ।
श्री पद्मपादाचार्य जी की व्याख्या से वह पण्डित अत्यन्त आह्लादित होकर आभार प्रकट किये ।
श्री राम को महादेव से श्रेष्ठ समझने वाला भेदवादी प्रथम अर्थ का ग्रहण करता हैं , महादेव को श्री राम से श्रेष्ठ मानने वाला भेदवादी द्वितीय अर्थ मानता हैं और सारे ईश्वरीय रूपों में स्वरूपतः अभेद माननेवाले हम अद्वैतवादी तृतीय अर्थ स्वीकार करते हैं ।
' रामेश्वरम् ' पद में ही हरि-हर-अभेद का प्रतिपादन हैं , इस तीर्थ का माहात्म्य भी बहुत हैं ।
।। जय श्री राम ।।
।। हर हर महादेव ।।
Good
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