रामपाल तो सामने आने से रहा , तथापि रामपाल के कथित चेलों के माध्यमेन इसे सामने ( लाइन हाजिर ) लाकर इसकी पोल खोली जा रही है , यद्यपि हतबुद्धि रामपाल का मूर्खत्व सर्वविदित है , तथापि सनातन धर्मानुरागी सहृदयों के स्वान्तः सुखाय किंचित् कारुण्य-क्रीडा अवतरित की जा रही है -
रामपाल चेलों का घोष -
ज्ञान चर्चा करो जी हमसे-- ओर सतलोक आश्रम आकर कल्याण करायें जी -- ईस धरती पर तत्वदर्शी संत केवल रामपाल -जी महाराज है जी-- (मुनिश दास)
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
तुम और तुम्हारे जेल की हवा खा रहे गुरु आदि पहले संस्कृत पढ़ना सीख लो इस जन्म में , वही पर्याप्त है, संस्कृत के शास्त्रों का विश्लेषण तो बहुत दूर की बात है । भूर्लोक का फन्दा तो उतर नहीं रहा , निकले हैं सतलोक का कल्याण करने ! शब्दब्रह्मणि निष्णातः परब्रह्माधिगच्छति - ऐसा कहा गया है , जिसे वेदादि स्वरूप शब्दब्रह्म का क ख अवबोध नहीं , वो क्या परब्रह्म को प्राप्त करेगा ।
रामपाल -
पण्डित ज्ञानी जी--- अंग्रेजी सीखने से कोई डाक्टर नही बनता --तत्वज्ञान होना जरुरी है-- संस्कृत सीखने से भगवान नही मिलते जी
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
जिसे ए बी सी डी नही आती , ऐसा डॉक्टर आज तक तो मेडिकल लाइन में हुआ नही , सतलोक आश्रम ने नया मेडिकल कॉलेज खोला है तो वे जाने ।
रामपाल -
मै ज्यादा संस्कृत तो नही जानता किंतु गीता के श्लोको मे जहां जहां तुम पण्डितो ने चालाकी करकर अनर्थ किया है वो जानता हु जी
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
ज्यादा कम छोडिये , आप तो संस्कृत की अ आ क ख तक नहीं जानते । जानते हो तो कहो , अभी खोल देते हैं तुम्हारी कुण्डली । अतः तुम और तुम्हारे जैसे ही अन्य कबीरपंथी सब अन्धकार में भटक रहे हैं
रामपाल ---- व्रज का अर्थ जाना होता है उसे आना बनाकर बेवकुफ बना रहे थे जनता को -- गीता कृष्ण ने नही बोली ईसके भी पचास प्रमाण है जी -- अर्जुन ने जब युद्ध के बाद दोबारा गीता सुनाने को कहा तो क्यो भुल गये कृष्ण गीता को?? ये क्यो कहा की मै अब दोबारा नही सुना सकता?? जबाव है पण्डित जी??? गीता मे 11/32 मे कहा की मै काल हु ओर ईस समय सबको खाने आया हु-- विचार करें कृष्ण तो पहले से ही खडे थे तो ये कौन बोल रहा है की अब आया हू-- कितने प्रमाण दु पण्डित जी??
वामन शिवराम आप्टे मे देखिये वहां व्रज का अर्थ "आना" नही लिखा-- व्रज का अर्थ जाना ,चलना ये लिखा है-- तो व्रज का अर्थ आना कैसे किया?? किस प्रमाण से??-- अंग्रेजी मे Go को come नही कह सकते तो व्रज का अर्थ चलना यानि जाना है तो आना क्यो किया?? शब्दकोष मे दिखाओ गमन का अर्थ जाना है जी -- प्राप्ति का अर्थ आना कैसे होगा पण्डित जी??
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
मैंने संस्कृत में क्या लिखा , यदि तुमने समझा होता तो ये सब तुम बोलते ही नहीं
डिक्शनरी का अभिप्राय समझने के लिए भी मूल सिद्धांत अवबोध चाहिए, व्याकरण का यदि सामान्य ज्ञान भी तुमको होता तो ज्ञात होता कि गति शब्द ज्ञान, गमन, प्राप्ति स्वरूप अर्थत्रय का अवबोधक होता है ।
//////कृष्ण तो पहले से ही खडे थे तो ये कौन बोल रहा है की अब आया हू//////
अब आया हूं - ऐसा मूल संस्कृत श्लोक में कहीं भी नहीं लिखा है । ये सब भ्रम भी तुमको हिन्दी की बैसाखी के चलते हो रहा है। मूल श्लोक में श्री कृष्ण कह रहे हैं - कालोsस्मि - अर्थात् मैं ही काल हूं , जो कि लोकान् समाहर्तुमिह प्रवृत्तः - अर्थात् लोक का समाहरण करने में यहॉ ( युद्धस्थल में ) प्रवृत्त हूं । प्रवृत्ति प्रवर्तकाश्रित हो कर ही व्यवहृत हुआ करती हैं ।
रामपाल -
तो व्रज शब्द की व्याख्या बताईय ?
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
व्रज की व्याख्या तो सुस्पष्ट है , व्रज पद गत्यर्थक है और गति आने और जाने दोनो प्रकार में होती है ।
रामपाल -
आप ये बताईये की की अर्जुन तो पहले से ही शरण मे था तो गीता ज्ञानदाता ये क्यो कहेगा की मेरी शरण आ-- अर्जुन तो कह चुका की साधि मां त्वाम्......
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
जैसे किसी गृहस्थ के घर में अतिथि के आने पर घर का गृहस्वामी उस अतिथि से कहता है कि मेरे घर आया करो , इसी प्रकार ।
रामपाल - उचित अनुचित ,उदार अनुदार ये सब विपरीत है तो उत्तम अनुत्तम होना चाहिये ,--- तो अनुत्तम के दो अर्थ किस आधार पर बनाए??? अगर गीता मे अनुत्तमाम् का अर्थ अति उत्तम है तो गीता ज्ञानदाता पंद्रहवे अध्याय मे ये क्यो कह रहा है की उत्तम पुरुष तु अन्य:-- 18/62 मे अपने से अलग परमात्मा की शरण मे भेज रहा है तो जब गीता ज्ञानदाता से अलग परमात्मा है तो गीता मे अनुत्तम का अर्थ( न उत्तमो यस्मात) क्यो किया?? जबकि 18/62 मे अन्य प्रभु की ओर सकेत है
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
उत्तम का विपरीत अनुत्तम नही अपितु अधम होता है । संस्कृत का अनुत्तम पद न उत्तम अस्यान्यत् इस विग्रह से सर्वोत्तम अभिप्राय का वाचक होता है । देखो शास्त्रान्तर प्रमाण –
सन्तोषाद् अनुत्तमसुखलाभः ( पातञ्लयोगसूत्र २|४२) व्याकरण के आचार्य पतञ्जलि अपने योगसूत्र मे सर्वोत्तम अभिप्राय मे अनुत्तम शब्द दर्शा रहे हैं ।
गीता ज्ञान दाता के प्रति /// अपने से अन्य उत्तम पुरुष// का आक्षेप करना भी व्यर्थ है , क्योंकि उत्तमः पुरुषः को ही संस्कृत में #पुरुषोत्तम कहा जाता है । गीता ज्ञानदाता श्री कृष्ण ने अपने इस पुरुषोत्तम स्वरूप को परिचय देकर इसे निम्न श्लोक में अपना ही परिचय प्रमाणित किया है -
उत्तम पुरुष का परिचय -
उत्तम पुरुष अन्य ही है, जो परमात्मा कहलाता है और जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण करने वाला अव्यय ईश्वर है-
उत्तमः पुरुषस्त्वन्यः परमात्मेत्युदाहृतः।
यो लोकत्रयमाविश्य बिभर्त्यव्यय ईश्वरः।। ( श्रीमद्भगवद्गीता १५|१७)
यह उत्तम पुरुष श्रीभगवान् कृष्ण हैं -
क्योंकि मैं क्षर से अतीत हूँ और अक्षर से भी #उत्तम_हूँ, इसलिये लोक में और वेद में भी #पुरुषोत्तम ( अर्थात् उत्तम पुरुष) के नाम से प्रसिद्ध हूँ-
यस्मात्क्षरमतीतोऽहमक्षरादपि चोत्तमः।
अतोऽस्मि लोके वेदे च प्रथितः पुरुषोत्तमः।। ( श्रीमद्भगवद्गीता १५|१८)
रामपाल -
तो फिर चारो शंकराचार्यो ने अनुत्तम का सामान्य अर्थ घटिया क्यो कहा? ये देखो https://m.youtube.com/watch?v=4UvbRydpzlI&itct=CAwQpDAYASITCJrg4tnmutICFeGwnAod-gsFqlIi4KSF4KSo4KWB4KSk4KWN4KSk4KSuIOCkqOCkpOCksuCkrA%3D%3D&gl=IN&hl=en&client=mv-google
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
शास्त्रीय विषय में शास्त्र ही प्रधान प्रमाण होते हैं , तदनुकूल ही अन्य किसी भी वक्ता का कथन प्रमाण होता है , प्रतिकूल नहीं । अतः ये किसने क्या कहा किसने क्या नहीं - ये सब व्यर्थ के स्वनिर्मित वीडियो आप किसी अनपढ़ हरयाणवी मूर्ख को बहला फुसला के चेला बनाने हेतु दिखावें ।
रामपाल -
तो एसा कौनसा सिद्धांत है की अनुचित अनुदार ईनका प्रयोग संस्कृत मे विपरीत अर्थ के लिए प्रयोग होता ह ओर अनुत्तम का अति उत्तम????
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
सिद्धान्त ये है -
शक्तिग्रहं व्याकरणोपमानात्कोषाप्तवाक्याद्व्यवहारतश्च। वाक्यस्य शेषाद्विवृतेर्वदन्ति सान्निध्यतः सिद्धपदस्य वृद्धाः ।।
रामपाल -
आपने जो व्रज शब्द की व्याख्या की वो आपके अनुसार ठीक होगा क्योकि आप कृष्ण को गीता ज्ञानदाता मानते हो लेकिन जब कृष्ण ने गीता बोली ही नही तो जिसने गीता बोली उसके अनुसार अर्थ बनेगा-- मामेकं शरणं व्रज-- अर्थात् सब धर्मो को मुझे त्यागकर एक परमात्मा की शरण मे जाओ ये अनुवाद बनेगा(एकम् शरणम् व्रज)
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
"एकम् यानि अद्वितिय परमात्मा की शरण में " एकस्य परमात्मनः - ऐसा कोई सम्बन्धार्थक षष्ठ्यन्त प्रयोग यहाँ नहीं है , ‘नासङ्गतं प्रयुञ्जीत’ इस नियम का तुमको ज्ञान नहीं है । एकम् शरणम् व्रज - यहॉ पर एकम् पद न तो षष्ठ्यन्त पद है ना ही विशेषणेतर है , अतः ये मनमुखीपने के जुगाडपन्थी तिकडम कहीं अन्यत्र भिड़ाना , ये संस्कृत भाषा है , यहॉ कुटिलता नहीं चलती । /// मेरे सब धर्मों को छोड़कर /// के लिए /// मां सर्वधर्मान् परित्यज्य ///// कहा जाएगा या /// मम सर्वधर्मान् परित्यज्य ///// ये किसी संस्कृत पढ़ने वाले नौवीं, दसवीं के छोटे से बच्चे से पूछना, तुमको बहुत अच्छी तरह से समझाएगा ।
रामपाल -
अरे पण्डित जी अगर मै अब शांकर भाष्य की धज्जियां उडाना शुरु कर दुं तो कहां तक बचोगे???-- शांकर भाष्य मे खुद द्वितिय विभक्ति के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग हुआ है-- लो एक प्रमाण देता हु गीताप्रैस का-- आप कहते हो की एकस्य यानि षष्ठी विभक्ति के साथ (का ,के,की) लगता है तो अब सुनो-- गीताप्रैस ने मामेकं का अनुवाद "मुझ एक की" किया है-- अब बताओ माम् एकम् ये दोनो द्वितिय विभक्ति है तो ईसके साथ "को" की बजाय षष्ठी विभक्ति (की) क्यो प्रयोग की??-- ये मत सोचना की रामपाल -दास जी महाराज के शिष्य संस्कृत नही जानते--बडे बडे विद्वानो ने हार मानकर नामदान ले लिया-- तुम किस दुनिया मे हो
श्री आद्य शंकराचार्य-सन्देश-
तुमसे नामदान लेने वाला तुमसे भी चार चरण आगे का पहुंचा हुआ होगा , इसमें तो कोई संशय नहीं ।
////// शांकर भाष्य मे खुद द्वितिय विभक्ति के साथ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग हुआ है ///// - बिना सिर पाँव की कोरी बकवास करना तो कोई तुम कबीरपंथियों से सीखे ! मुख है तो कहने में क्या जाता है हर्रे दश हाथ के होते हैं [ मुखमस्यास्तीति वक्तव्यं दशहस्ता हरीतिकी ]
///// माम् एकम् ये दोनो द्वितिय विभक्ति है तो ईसके साथ "को" की बजाय षष्ठी विभक्ति (की) क्यो प्रयोग की?////// ये भी तुम्हें इसीलिये समझ नहीं आ रहा क्योंकि तुमको संस्कृत की क ख पता नहीं । कर्त्तुरीप्सिततमं कर्म (पा०अष्टा० १।४।४९) इस सूत्र से व्रज – इस क्रियापद से अभिहित गति रूप व्यापार के कर्त्ता की स्वगत्यात्मिका क्रिया उक्त द्वितीयान्त पद से विशिष्ट सम्बन्ध रखने से कर्त्ता के क्रिया व्यापार के ईप्सिततम में कर्म संज्ञा हुई है और कर्म संज्ञा होने पर कर्मणि द्वितीया (पा० अष्टा० २।३।२) सूत्र से द्वितीया विभक्ति हुई है ।
ईश्वर तुम्हें सद्बुद्धि प्रदान करें ।
इत्यलम् ।।
।। जय श्री राम ।।
फर्जी संत रामपाल के आश्रम की क्या है मान्यताएं
ReplyDeleteपोल खोल भाग 💥🖥 (10)
बाबा आश्रम और संत ये शब्द हिन्दू धर्म
की आस्था का केन्द्र हैं लेकिन इन शब्दों का राम पाल
से कोई संबंध नहीं है
क्योंकि उसकी सारी कार्यप्रणाली और
गतिविधियाँ शुरु से हि हिन्दू विरोधी रही है ।
1) छ घंटों तक बंधक बनाकर रखा महिलाओं
बच्चों और लोगों को ।
2) सैंकडों बंदूकधारी कमांडो तैयार कर सरकार
विरोधी गतिविधियाँ ।
3) आपनें चेनलिंक प्रणाली का नाम तो आपनें
सुना होगा जिसमें एक के द्वारा दुसरे को सदस्य
बनाया जाता है और कम्पनी के सदस्य बढ़ते जाते हैं !
यह आश्रम भी उसी प्रणाली के तहत अपनें
समर्थकों की संख्या बढाता है !
अपनें समर्थकों को यह समझाया जाता है कि जितने
नए लोगों को लाओगे उतना ही आप अच्छा कार्य करेंगे
और लोगों को अंधविश्वास से निकालनें के कारण आप
पर सतगुरु साहेब की कृपा बनी रहेगी ! लोगों को लाने ले
जाने और रहने खाने का खर्चा सतलोक आश्रम
ही उठाता था।
इस तरह से भोले भाले लोग बहकावे में आ जाते हैं और
इसके समर्थकों की संख्या बढती जाती है ! इसके
समर्थकों की संख्या कैसे बढ़
रही थी इसका अंदाजा आप इस बात से
लगाया जा सकता है कि जिस तथाकथित संत रामपाल
को २००६ में आसानी से पुलिस नें गिरप्तार कर
लिया था। उसको आज २०१४ में गिरप्तार करनें में
पुलिस के पसीनें छूठ रहें हैं !
4) इसके आश्रम में जो जाता है
उसको वहां तभी ही घुसने दिया जाता है जब वो अपनें
सनातन प्रतिक चिन्हों को त्याग कर अग्नि में डाल
देता है और इसकी पूरी व्यवस्था गेट पर ही रहती है !
मसलन हाथ का कलावा, मंगलसूत्र, ताबीज, मांग
का सिंदूर, तिलक वगैरह सब कुछ त्यागना होता है !
किसी भी प्रतिक चिन्ह रखने की मनाही होती है लेकिन
फिर उन्ही को गले में संत रामपाल वाला लोकेट पहनने
को कहा जाता है !
5) फिर उन लोगों को वेद ,गीता और पुराणों के
श्लोकों के मनमाफिक अर्थ निकालकर सुनाकर यह
समझाया जाता है कि सनातन धर्म तो कुछ है
ही नहीं और इसके भगवान् तो बनावटी है असल
भगवान् तो कबीर ही है !
मतलब इन लोगों का ब्रेनवाश किया जाता है
ताकि सनातन धर्म के प्रति इनके मन में यह भाव
पैदा हो जाए कि हम तो इतनें दिन मुर्ख बने हुए थे !
6) इसके समर्थक बनने के बाद आप किसी हिन्दू
भगवान् को नहीं मान सकते ,कोई हिन्दू त्यौहार
मनाना इनके लिए स्वीकार्य नहीं होता है ! आप
किसी से ना तो अपनें चरण छुवा सकते हैं और
ना ही किसी के चरण छु सकते हो !
ना तो किसी से कोई उपहार ले सकते हो और ना ही दे
सकते हो चाहे वो आपका पारिवारिक सदस्य
ही क्यों ना हो ! यहाँ तक कि आप
अपनी बेटी को भी कुछ नहीं दे सकते हो !
7) अपनें समर्थकों को नाममन्त्र के नाम पर कुछ
मन्त्र दिए जाते हैं जिनका ही जाप करना इनके
समर्थकों के लिए जरुरी होता है !
पाखंडी रामपाल की पोल खोल
अगर आप और आपका पाखंड सही तो 2014 में बद्रीनाथ में 50 हजार लोग क्यों मारे गए,क्या उनकी गलती थी,उनकी गलती इतनी हो सकती है कि,तुम पाखंडियों का ज्ञान सही मान कर,वे बद्रीनाथ जाते है,उनको भगवान मान लिया,और वे जल प्रलय में सारे मारे गए।
DeleteAgar aapke anusar bakti kare kya tum hume garanti dete ho ki yaha bhi sukh or moksh hoga jagatguru tatavdarsi Santrampal ji maharaj ji janam se lskar satlok tak l jaane ki garnti dete h satsung suno or pap katvakar daran grahan kijiye sat saheb (saheb mean lord of universe)
DeleteFool search in Sanskrit dictionary the meaning of VRAJ is "TO GO"
Deletewhereas your foolish aarya samji has translated it into "TO COME" KRISHNA had said "TO GO IN THE REFUGE OF THAT PURN PARMATMA"
And the meaning of "ANUTTAM" is always "WORST,BABAD INFERIOR" whereas foolish aarya samajis had translated it into "BEST" 🤣😂🤣😂
Haqiqat mein Akhand Pakhandi tera DAYANAND SARASWATI jiske andar kuchh Sanskrit shabdkosh ki gyaan hi nhi tha.SANSKRIT MANTRA ko recitation competetion mein ratta marke ghont rkha tha magar usko 1% bhi kisi SANSKRIT BHASHA ka Sahi Matlab nhi pata.Nalayak Dayanand ko aur kya kahan jaye 🤣😂🤣🤣
DeleteAarya Samaji ki purn rup se pakhandi ki pardafansh ho gye sare spiritual debate mein agar itna hi aukat tha aarya samaji mein tou Dr. Zakir Naik jab khuli chunauti diye pure bharat ke Panditon ko tou tab aarya Smaji ke koi aise pandit mein aukat nhi tha ki usko swikaar kr ske kyunki un sab dhongiyon ashikshit nalayak panditon ko BIBLE, QURAN toh sainkron kosh dur ki baat GITA,VED,PURAN ke bhi purn gyaan nhi.
DeleteBhen ke lund tu ja kar sant Rampal Ji ke charno me gija thik or bhagwan he
Deleteसंत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं इस दुनिया में नकलियो , वो दिन दूर नहीं जब तुम्हारी खुद की संताने संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनेगीं और तुम्हारे मुंह पर थूकेगी की क्या यही ज्ञान था तुमको और तुम्हारी भंगेड़ी महर्षि दयानंद को जो गच्छामि गच्छामि करते हुए पूरा मानव जीवन खराब कर लिया और जानें कितने जीवों को सत्य ज्ञान से वंचित रखा । व्रज का अर्थ संस्कृत में जाना ही होता है मूर्ख प्राणी । गूगल बाबा पर सर्च कर ले । तेरी संस्कृत उस नशेड़ी की बनी हुई है जिसकी मृत्यु भी चारपाई पर टैट्टी पेशाब व बड़ा दुख भोगने से हुई थी । आज लोग पढ़े हुए हैं तेरे जैसे गधे नही जो झूठी सत्यानाश प्रकाश को बेचकर धंधा बनाया हुआ था । अब बेच लो । अभी तो आने वाला शिक्षा का युग है लोग मूर्ख नहीं है जो तुम्हारे जाल में फंसे
Deleteरामपाल को गलती से भी हिन्दू संत समझने की गलती मत करना
ReplyDeleteपोल खोल 💥भाग 🖥(04)
ये ईसाई मिशनरियों से भी खतरनाक है,
पूरा एंटी हिन्दू है???👇
कबीर साहब सनातन (हिन्दू) थे और यही कारण है कि उन्होंने नवाज – कलमा या बाइबिल की जगह सनातन संत श्री रामानंद जी को अपना गुरु बनाया …आश्चर्य है कि कबीर जी ने कभी भी सनातन देवी – देवताओं को अपमान नहीं किया किन्तु आज का इसाई मिसनरी और बामपंथी फर्जी कबीर अपने को तथा अपने दासों को सनातन हिन्दू कहलाने के लिये भी मना कर रहा है तथा उसके लफंगे सुबह – से – शाम तक सोसल मीडिया पर श्री राम ,श्रीकृष्ण ,शिव जी ,मां आदि शक्त दुर्गा ,हनुमानजी आदि का उपहास उड़ा रहे हैं ! तथा उन्हें गंदी – गंदी गालियां दे रहे हैं और देश के तथाकथित धर्म के ठेकेदार व सेकुलर सरकार चुपचाप तमाशा देख रहे हैं …धिक्कार है इस देश के बहुसंख्यक समाज के आगेवानो का धिक्कार ! है !
कबीर जी 600 वर्ष पूर्व आये थे तब भी गीत का ज्ञान दाता उन्होंने श्रीकृष्ण जी को ही माना और यह अधेड़ उम्र का लफंगा रामपाल उर्फ फर्जी कबीर कहता है कि गीता ज्ञानदाता काल है !
और इस अफण्डपाल ने मनगढंत अपनी मिलावटी इंजीनियरिंग लगाकर फर्जी गीता हजारों – लाखों की संख्या में फ्री बांट रहा है ?
हत्या व देशद्रोह के केश में खुद तो वर्षों से हिसार जेल में पड़ा है किंतु उसकी बकवास वाले वीडियो साधना चेनल आदि पर लाखों रुपया का विज्ञापन आदि देकर चला रहा है E.D तथा अन्य एजेंसियों को इसकी एन जी ओ फंडिंग व विदेशी कनेक्शन जो भारतीय सनातन संकृति को नीचा दिखाने के उद्देश्य से आचार्य प्रमोद किरिश्चन व स्वामी अग्निवेश की तर्ज पर बाबा बनाकर बैठाया गया है इसकी गहरी जांच होनी चाहिये वर्ना एक और अलगाववादी संगठन खड़ा होकर देश को भारी नुकसान पहुंचा सकता है !!!
ध्यान से पढो एक एक लाइन….
रामपाल ने काल नामक काल्पनिक पात्र खड़ा किया है , उस काल का डर अपने चेलो के बीच कायम रखने के लिए उसने कैसे गीता का मनघडंत अर्थ निकालकर काल को Highlight किया है वो मैं बताता हूं… इससे ये बात भी सिद्ध हो जाएगी की रामपाल को बेजीक संस्कृत का ज्ञान भी नही है , जो 7-8 के विद्यार्थी को भी होता है….
1. 4/35 श्लोक , #मयि
संस्कृत शब्द मयि का अर्थ होता है #मुझ_में(सप्तमी विभक्ति) और रामपाल ने अपनी अनुवाद की हुई गीता में इसका अर्थ लिखा है #मुझे(द्वितीय विभक्ति) , यहाँ रामपाल ने ये अर्थ सिर्फ और सिर्फ #काल को Highlight करने के लिए किया ताकि काल का डर अपने चेलो में कायम रख सके!
2. 4/7 श्लोक , #आत्मनि
आत्मा मतलब होता है हम खुद… यहां रामपाल ने आत्मनि का अर्थ अपने अंश को करके खुद ही खुद को बेनकाब कर दिया है की उसे संस्कृत का ज़रा सा भी ज्ञान नही है!
3. 15/7 श्लोक , #मम
इस श्लोक में श्री कृष्ण बता रहे है की 【जिस परम पद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते, उस स्वयं प्रकाश परम पद को न सूर्य प्रकाशित कर सकता है, न चन्द्रमा और अग्नि ही। #वही_मेरा_परम_धाम_है।】यहाँ रामपाल ने अपने चेलो को गुमराह करने के लिए ये अनुवाद किया है की #वह_मेरेधाम_से_परम_धाम_है। ●अब आपको बतादूँ की अगर यहाँ #मेरेधाम_से आना होता तो श्लोक में मम की बजाए मत् होता , पर यहां मम जिसका अर्थ होगा मेरा परम धाम है , जो रामपाल ने किया है वो नही!
4. 15/18 श्लोक , #लोके_वेदे (सप्तमी विभक्ति)
यहाँ रामपाल अपने चेलो को ये कहकर मूर्ख बनाता है की श्री कृष्ण को #लोकवेद में पुरुषोत्तम कहा गया है… जबकि यहाँ लोकवेद नही बल्कि #लोके_वेदे बोला गया है श्री कृष्ण के द्वारा जिसका अर्थ होगा #लोक_में और #वेद_में , नाकि #लोकवेद_में।
5. 8/16 श्लोक , #विद्यते (प्राप्त होना)
यहाँ भी रामपाल ने बड़ी चतुराई से विद्यते का अर्थ प्राप्त होना की बजाय “जानना” किया है , क्योंकि इसमें वो ऐसा अनर्थ न करता तो वो पूरा बेनकाब हो जाता क्योंकि इस श्लोक में उसके सत्पुरुष से संबंधित कोई शब्द नही जिसे वो अपने तथाकथित सत्पुरुष से जोड़ सके जैसे उसने दूसरे श्लोकों में किया… और ये अपने #अनपढ़ चेलो को #विद्या शब्द दिखाकर मूर्ख बनाता है की #विद्या का अर्थ “जानना” हुआ
राज तजना सहज है, सहज त्रिया का नेह।
Deleteमान, बढ़ाई, इर्ष्या, दुर्लभ तजना ये।।
हमारे गुरुजी यही बताते हैं और आप इसी को साबित कर रहे हो अपनी मूर्खता वश।
जी हो बन्दीछोड की।
सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय।।
राम पाल बन्धी छोड कैसे है
Deleteराम पाल तो बन्धी पकड है जो जेल मे है जो खुद मुक्त नही हो सकता वह दूसरे को मोक्ष कैसे दिला सकता है
काल के दूतो संत राम पाल के अस्पताल (सतलोक) बरवाला में सैकड़ों
Deleteरोगी केवल परमात्मा कबीर के शरण में आने से ठीक हो रहे है,इस अस्पताल में तुम जैसे रोगी के लिए भी बिस्तर खाली है, परेशान मत होना वे(परमात्मा राम पाल जी) फीस नहीं लेते,कभी भी आ जाना। खाना, चाय,बिस्किट, सोने का बिस्तर,ज्ञान की चर्चा,किताबें भी पढ़ने के लिए मुफ्त,अगर कैंसर की बीमारी भी होगी तो 3 से 6 महीने में गारंटी के साथ ठीक होगा,बस एक काम करना होगा ,आप जैसे लोगो को उनकी शरण में आना होगा,इसके लिए आप को कोई टैबलेट व injection नही दिया जाएगा।
सन्त राम पाल जी का ग्यान एक दम सही है
Deleteगीता में तत्वदर्शी संत की पहचान बताई हैं और वेदों में भी प्रमाण दिए गए हैं। सभी संत रामपाल जी महाराज और कबीर परमात्मा की ओर संकेत करते हैं।
Deleteफिर इन नकली आचार्यों का ज्ञान तो पुराणों से भी मेल नहीं खाता। ब्रह्मा, विष्णु और महेश के माता-पिता और ब्रह्म की जानकारी ये क्यों नहीं देते।
गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में गच्छ और 66 में व्रज में मेल क्यों नहीं हो रहा है।
इसीलिये श्री कृष्ण की कृपा से जैल मैं ही उचित है।
ReplyDeleteसही कहा
DeleteItne gyani bante ho bhai to ak sachche sant ki pahchan kya hoti hai bata do
Deleteश्री कृष्ण का जन्म कहा हुआ था जेल में ही हुआ था ना
Deleteआपने बिल्कुल सही कहा
Deleteभगवान श्री कृष्ण अध्याय 4 श्लोक 9 कहते हैं जन्म कर्म च में दिव्यम ||||मेरे जन्म और कर्म दोनों ही दिए हैं जो चर्म तत्वों द्वारा नहीं देखा जा सकता अध्याय 7,,, 15 मैं कहते हैं हे अर्जुन असुर स्वभाव को धारण किए हुए हम मनुष्यों में निश्चित कर्म करने वाले मूड लोग मुझे नहीं भजते||
Deleteजेल भी तुम जैसे निशाचरों ने झूंठा जाल बनाकर कर अपने अज्ञान की पोल ना खोले,लेकिन मूर्ख पूरा ज्ञान डिजिटल हो गया अब तुम अंधे गधे की तरह इस आध्यात्मिक ट्रेन के आगे कुचले जाओगे । एक तरफ रहो और सुरक्षित रहो , पहले शिक्षा कम थी तो तुम लोगों ने बहुत बड़े समुदाय का झूँठा संगठन बना लिया और किताब बेचकर अपना धंधा किया था अब आपका और आपके भंगेडी न्शेबाजके अज्ञान का अंत हो चुका है तो हाथ पैर चलाने की जरूरत नहीं है । तेरा मैं जवाब पढ़ रहा हूं तूने एक भी श्लोक का जवाब नहीं दिया बल्कि जेल का जिक्र किया है। तेरा फूफा जेल में होने के बावजूद भी पूरी धरती के लोगों को अपनी शरण में लेकर उनका घर बसा रहा है।
Deleteफ़र्ज़ी बाबा इसे जितने जेल में पटक कर मारे उतना ही काम है इस ने गीता का अपमान एवम अपने आप को भगवान मना है
ReplyDeleteअब ये जान जाए गया की भगवान ऐसे ही नही बना जाता सत्य कृष्ण है केवल
Bhagwan shri krishan ji ne sharir chhoda tha ya nhi
DeleteJabki ham kahte hai bhagwan vo hai jo janam or mrityu. Se pare ho lekin hamare sab bhagwano ka janam bhi hua hai maa ke grabh se or mrityu bhi
Sirf kabir parmatma ji ko chhod kar kyu ji sat sahib jai ho sadguru Rampal ji maharaj ki kyuki ye gyan inhone hi diya hai
Sat saheb
Deleteरामपाल का जन्म भी तो माँ के गर्भ से हुआ है और कबीर का भी...
Deleteकबीर का जन्म माता से नहीं हुआ बल्कि तुम्हारी बुद्धि खराब है जलन के मारो खुद भी कह रहे हो और गुरु परमात्मा का ही रूप होता है
Deleteरामपाल जी सही कह रहे हैं।
ReplyDeleteRight
DeleteRight bhai 👍
Deleteसंत रामपाल जी महाराज सही हैं
Deleteसंत रामपाल जी सही हे सब्र रखो सब समझ जाओगे,
ReplyDelete1और जो श्री आद्य शंकराचार्य जी के पक्ष मे श्लोक का अर्थ मे "कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धोलोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।" इसका अर्थ लोकों का नाश करने वाला बढ़ा हुआ महाकाल हूँ। इस समय इन लोकों को नष्ट करने के लिए "{प्रवृत्त (हुआ) हूँ।"} ने की प्रवत्त हू, आदरणीय श्री आद्य शंकराचार्य जी आपने तो, लाईन ही बदल दी,
नोट - तेरा और मेरा पक्ष छोडो और गुरू जी बताते हैं हम सब परमात्मा के बच्चे हे,हम सतलोक के वासी थे, यह गलती से आ गये,हमे फिर यह गलती नही करनी, सही समय में जन्म मिला है हमे, और यहा कोई कीसी का दुश्मन नही,बदले की, मान बढाई की आग मे न रहो, सब यही रह जाऐगा,
एक बात सोचो संत रामपाल जी हमारे लिए इतनी तकलीफ क्यू उठा रहे, क्या स्वार्थ हे उनका
👉कोई स्वार्थ नही, सब कुछ जानते हुए भी घर परिवार से संपन्न होते हुऐ भी सिर्फ हमारे लिए, इतनी तकलीफ उठा रहे, अंध विश्वास की पट्टी खोलये,
"सत्य को जानो, सत् से अवगत कराने वाला कौन हे, अपने आप पहचान आ जाऐगा!
बंधु आपने बिल्कुल सही लिखा है।
Deleteसत साहेब जी।
Sat saheb ji
Deleteकेवल संत रामपाल जी ही पूर्ण तत्वदर्शी है उनका ही ज्ञान सर्वश्रेष्ठ और तत्वज्ञान है उनकी है बताई भक्ति विधि से पूर्ण मोक्ष संभव है आचार्य शंकराचार्य लोग और उनके चेले लोग बहुत ही मान बढ़ाएं और अहंकारी लोग है यही लोग मानव समाज को पथभ्रष्ट किए हैं केवल कबीर परमेश्वर ही परमेश्वर है बाकी सभी देवी देवता हैं उनके ही संतान हैं भगवान केवल परमात्मा कबीर देव है कबीर साहेब ही सर्वश्रेष्ठ ही रचन हार और कुल का मालिक है वही देवों का देव है सभी शास्त्र सभी धर्मों के ग्रंथ इस बात का गवाही है प्रमाण सहित देखें केवल संस्कृत का अर्थ जानने से भगवान नहीं मिलता ।भगवान सतगुरु के बताए भक्ति विधि से और आजीवन मर्यादा में रहने से होता है आज आज सर्व समाज शिक्षित है जब कबीर साहब आए थे उस समय समाज अशिक्षित थे तब इन शंकराचार्य और आचार्य की दाल गल गई परंतु अब नहीं बोल सकती बच्चा बच्चा भी संस्कृत का अर्थ जानता है और वेद भी जानता है जब कबीर साहब आए थे तब 6 वर्ष की आयु में ही बड़े बड़े पंडित महा पंडित और शंकराचार्य जैसे-जैसे को छक्का छुड़ा दिए थे ज्ञान की लड़ाई में। सुर नर मुनि जन देवता ब्रह्मा विष्णु महेश ऊंचा महल कबीर का पारण पावेसे कबीर सर्वश्रेष्ठ परमात्मा है सब की उत्पत्ति कारक है सर्वश्रेष्ठ रचन हार है सभी देवों देव का पिता है जनक है वही पूजा के योग है उनकी भक्ति से संपूर्ण मोक्ष है सर्व सुख मिलता है
Deleteकही आप भी तो नहीं पूर्ण तत्त्वदर्शी है हमको तो लग रहा है सही कहा आप ने रामपाल जी पूर्ण तत्त्वदर्शी है तभी तो बेचारे कारागार मे ही आप लोगों ने उनका वही स्मृति चिन्ह बनवा दे रहे है ये सब आप लोग अच्छा कर रहें है ना कोई। बात नहीं ऐसे लोगों का यही होना चाहिए जय दादा परशुराम जयतु संस्कृतम् भारतम्
Deleteआप लोग पहले कहा गये थे जब संत रामपाल जी महाराज आपकी धजीय उड़ा रहे थे। तब तो भीगी बिल्ली
Deleteबने बैठे थे। जब उस वक्त सवालों के जवाब नहीं मिले तो बरवाला कांड करवा दिया
पहले में भी सन्त रामपाल के शिष्य था अज्ञानतावश
ReplyDeleteलेकिन अब नही अब में परमात्मा की किर्पया से
इनके पाखण्डवाद को भली प्रकार पहचान गया हूं
बन्धु बहुत बढ़िया किया आपने आप जैसे लोग अगर कहीं सतलोक चले व गए तो वापिस के आओगे आप ।
Deleteआप हो के नई इस काबिल।
आप खुद नि हुए बाहर आपको छंटनी के तहत गुरुजी ने बाहर किया है गंद का कोई काम नई ह वहां
सही कहा पाखंड का दूसरा नाम हरामपाल
DeleteRight bandhu 💯💯👍👍
Deleteतो बता ओ किस परमात्मा की कृपा से पाखण्ड को जान गये हो
Deleteआर्यसमाजियों और कुछ संस्कृत के तोतें लोगों यह बताओ अगर तुम्हारी ही थ्योरी सही थी तो लोगों को सुख क्यों नहीं हुऐ।उनका भयंकर बीमारियों से पीछा क्यों नहीं छूटा।वे विकारग्रस्त क्यों होते चले गये।तुम लोगों की बीड़ी तक तो अपने इस ज्ञान से छुड़वा नहीं सके उनकी बुरी अन्य आदतें और भयंकर मृत्यु कारक बीमारी क्यों नहीं दूर हुईं।
ReplyDeleteसंस्कृत भाषा का इन शंकराचार्यों एवं आर्यसमाजियों द्वारा दुख से दूर हट जाता तो अब तक ऐसा संभव क्यों नहीं हुआ।
चलो मान भी लो कि तुम विद्वान ठहरे तो केवल विद्वता को एक परेशान और मौत से जूझ रहा व्यक्ति नहीं चांटेगा।
उसे तो अपनी जिंदगी चाहिए।
मित्रों !वे ही लोग फर्जी हैं जिनके ज्ञान से जुखाम तक ठीक नहीं होता है।कैंसर पीड़ित व्यक्ति भी डॉक्टरों में उलझ जाता है।
इन संस्कृति के विद्वानों को भारत में खुले हुऐ आस्पताल और उन में भर्ती मरीज नहीं दिख रहे।इनमेंं कुछ ज्ञान के साथ सामर्थ्य भी अगर है तो भारतवर्ष के अधिकतर अस्पतालों में इनका विचार चलवाऐं ।यदि उसके बाद भी व्यक्ति राहत न पा सके तो संत रामपाल जी महाराज जी के सतसंग चलवाऐंं और वैज्ञानिक,मनौवैज्ञानिक जितने भी उच्चस्तरीय डाक्टर हों सभी से अंतर जानिऐ ।
तब यथार्थ पता चल जाऐगा कि सत्य ज्ञान दाता केवल संत रामपाल जी महाराज ही हैं।अन्य कोई नहीं।
इति सिध्दम।।
Satgurudev ki jai
Deleteबिल्कुल सही अगर ये शंकराचार्य और इन पंडितों की theory सही होती तो, लोग ये काल के जाल से परेशान क्यों ?
Delete95% लोग अपना दुख लेकर आते हैं,और आते ही उनका रोग परमात्मा की दया से छू मंतर हो जाता है,क्योंकि वे उस वास्तविक इंजीनियर (परमात्मा) के पास आएं है,जिसने इस मानव रूपी जीव व अन्य जीवों को बनाया है,इस लिए ठीक होते है। इसके प्रमाण ये खुद परमात्मा के भक्त हैं, जो ठीक हो चुके हैं।
जय हो सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय ।
Deleteपरमात्मा से नमदीक्षा लेकर भगति करने से सब दुख दूर हो जाते है।
जय श्री कृष्ण ।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जी ही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा है।।
और उनका धाम 14 लोक ब्रह्माण्ड से परे परमधाम है जो आत्माओ की अखंड मुक्ति का स्थान है और ये श्री कृष्ण जी की अनन्य प्रेम लक्षणा भक्ति से ही प्राप्त होता है सभी वेदों का यही कथन है की श्री कृष्ण जी की शरण में ही जाओ।
स्वयं कबीर साहेब भी श्री कृष्ण जी की बंदगी करते थे और वृज की गोपिकाओ की चरण रज को प्राप्त करना चाहते थे।
इस दुनिया में शांति क्यूं नहीं है भगवान् के होते हुए भी बोल बता बोल
DeleteAj k yug me Shree Krishna ka Charitra agr koi vyakti apna le to uska kya haal hoga ye sabhi soch skte h.
DeleteUski rukmni Krishna or Radha dono ko uda degi :D
आप गलत है वेद नहीं
Deleteसन्त रामपाल जी की शरण में आकर अपना कल्याण करवाओ।
Deleteक्यू इस काल के लोक में भ्रम रहे हो।
जेल में समय क्या है मिलने का?
Deleteकबीर साहेब जी कहते है उन तीनों की भक्ति में यह भूल पढ़ो संसार कहे कबीर निज नाम बिना कैसे उतरे पार
Deleteअगर कृष्ण सब है तो नारायण झक मार रहे है शेष नाग पर ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार प्रधान मंत्री के पद से हटने के बाद मनमोहन इक नोकरी भी देने मे सक्षम नही
Deleteपाखंडी तीनो गुणों के उपासक कहते हैं कि पूर्ण परमात्मा एक है तो क्यो फटती है इन लोगो की पूर्ण परमात्मा एक है चारो धर्मो के पवित्र ग्रंथो से सिद्ध करदो।
ReplyDeleteक्यो मेरा तेरा करके भगवान का बाटा लगाए घूम रहे हो।
कुछ साल पहले ही इन पाखंडियो ने उन पहाड़ियों में भगवान है करके भेज दिया बेचारे हमारे भाई बहनों को मरवा दिए।
कितनो को तो अंतिम संस्कार के लिए शव तक नहीं मिला।
शिव जी ने भी संकेत में बता दिया कि मेरी भक्ति भी उत्तम नही है।
सम्भल जाओ मूर्खो समय अभी भी हाथ से गया नही है।
उस दिन बहुत पछताओगे जब तुम गधा बनोगे ओर कुम्हार तुम्हारे ऊपर सो मन का बोरा रखेगा।
हरामपाल अपने आश्रम में 6 लोग जो मरे उनको बचा लेता तो आज ताउम्र जेल में न सड़ता
DeleteNeech soch ka neech vichar
DeleteJai ho bandi chhod ki
Deleteपाखंड के निचे तो आग लगा दी ।
ReplyDeleteकैसे तमतमा रहे हैं।
जैसे हमारे गुरु जी के बारे में अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हो यही सिख सकते हैं आपके भगवान देख लिया हमने।
जो भगवान सही तरीके से बात करना नि सिखा पाया आप लोगो को वो ओर क्या दे सकता।
काल तो सबको पता है इस मृत्यु लोक में अटल सत्य मृत्यु है।
उसको खुद ही काल्पनिक पात्र बता रहे हैं। हँसी आती है अपनी रोजी रोटी के चक्कर मे पूरी दुनिया को बेवकूफ बना रखा हैं।।
Main keval ek hi baat kahunga yadi Kabir bhagwan hai to unhone yah baat kyon Kahi ki
ReplyDeleteHairat hairat hai sakhi Raha Kabir heray
Boond samani samad mein sho kat heri jaaye
Haan Purn parmeshwar KABIR SAHEB ki yeh amritbani ki asli antarnihit arth h ki: " SARE JEEVATMAN KE PARVARDIGAR KABIR SAHEB SAB EK DUSRE KE JHUTHE MOHMAYA,SAMSARA(JANAM-MRITYU) KE CHAKKAR HTE LIPTE HUE JAAL M SBHI PRANI KLIYE SWAYAM HAIRAT,JAISE HAR EK PRANI SAGAR KE EK BOOND SAMANI SAMAD M SHO KAT HERI JAAYE SUTRANG SAB ES SANSAR MEIN PURN MOKSH KE SATMARG SE APARICHIT H"
Deleteसब कि पोल खुलने वाली है पाखडियो बच नहीं पाओगे
ReplyDeleteसत साहेब
Deleteतो फिर सामने आकर ज्ञान चर्चा करो।
ReplyDeleteअगर तुम सही तो तुम जैसा कहो।
अगर संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सही तो आपको पूरे चेले सहित संत रामपाल जी के चरणों मे आना पड़ेगा।
सत साहेब
Jai satgurudev ki
ReplyDeleteसंत रामपालजी सही है....!!!!
ReplyDeleteवो गलत हो ही नही सकते ..!!!
गलत ज्ञान को समाज मे आर्य समाजी ने फैलाया है सनातन सनातन का दिंडोरा पिटते है सब जिवोंको नरकमे डाल दिया ..!!
नरक और स्वर्ग अपने कर्म से मिलते है किसी की कृपा से नही कोई भी गुरु हो यदि शिष्य ने सद्कर्म के साथ भगती की है तो मोक्ष प्राप्त होगा जो एक दूसरे की निन्दा करते हैं वे पापों के भागी हैं पापी को कभी मोक्ष नही मिल सकता अगर राम पाल जेल मे है तो उसके कर्म हैं अगर हमे बुरे कर्म करेगें तो हमे भी सजा ही मिलेगी असली परमात्मा वह है जिसको कबीर जपते थे राम नाम बोलो राम राम राम राम राम राम राम कहत कबीर राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट
Deleteफिर कब लूटेगा जब जाएगे॑ प्राण छूट
अगर आप की theory से चले तो
Deleteभगवान श्रीकृष्ण के माता पिता की जेल/ नरक क्यों क्यों,?
भगवान श्री राम को 14 साल वनवास क्यों, राम रावण युद्ध में लाखों सेनाएं मारी गई,सबसे बड़ा पाप
कबीर परमात्मा को सिकंदर लोदी ने 52बार मरवाने का प्रयास किया,उनका कुछ नहीं कर पाया,अंत में हर मान कर
उनके पैरों में गिर पड़ा।
नानक जी को अकबर के जेल में क्यों
ईशा जी को सूली पर क्यों लटकाया गया
आप सब जवाब नहीं दे सकते, क्योंकि वास्तविक ज्ञान से आप की रोजीरोटी बंद हो रही है
Shri Krishna tatva ko na janne ke Karan hi esi galat jankari rampal aur uske anusaran krne balon me hai.
ReplyDeleteParmeshwar shriman Vishnu dev jo saket loka ke rahvasi hai, inke
Bahut roop hai. Vishnu ya shri Krishna tatva ko samajhna ho to
Uske liye kuchh book study kijiye.
Jese-garg sanhita, vaiverta puran, bhagwat puran, shuka sanhita, devi bhagwat puran. Maha narayan upnisad, padma puran, Vishnu puran etc.
श्री कृष्ण का जन्म कहा हुआ था पता है ना
DeleteShrimad bhagwat puran me shri krishna ko swayam bhagwan ke roop me mana gya hai.
ReplyDeleteIs bat ki pusti garg sanhita, vaiverta puran, shuk sanhita etc me ki gyi hai.
Anpadh ganwar phle e jaan le ki purnparmatma kbhi maa ke garv yani kisi jeev ki sanyog se kbhi nhi hota tou Krishna aur Ramchandra purn smrth shakti wale parmatma kaise hue.
DeleteVED,PURAN AUR GEETA ke mamuli si bhi bunyadi gyaan agar tum logon mein birajmaan hota tou kbhi e sab betuki baatein nhi khte
Par rampal ke Chele granth kbhi read kiye nhi, yh to govind dev ke nindak hai.
ReplyDeleteपाखंडियों तुम्हारा ही ग्रंथ पढ़ कर बद्रीधाम में लोग 2014 में गए थे और 50हजार आम आदमी मारे गए थे,अगर ये तुम्हारा ये पाखंड न होता तो कोई न मरता।
Deleteपाखंडवाद कब तक ?
सही समय का इन्तजार करो
ReplyDeleteकबीर परमात्मा हैं
Deleteआस्था बहका सकती है अगर आपके पास तर्क का तराजू ना हो तो ।।। कमलेश दास वैष्णव
ReplyDeleteSat saheb
ReplyDeleteकबीर, पंडित और मशालची, दोनों सूझैं नाहिं। औरों ने करैं चांदना, आप अंधेरे माहिं।।
ReplyDeleteजिस को लगता है कि संत रामपाल जी महाराज जी ने संस्कृत का अर्थ सही नहीं किया है। तो madia के माध्यम से जनता के सामने उनके अर्थों को रखो ओर साबित करो कि संत रामपाल जी महाराज गलत है अगर नही कर सकते तो अपनी fake वेबसाइड बनाना बंद करो।
ReplyDeleteजय हो मालिक की
Deleteबंदीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज जी की जय हो।
संत रामपाल जी महाराज के जैसा ज्ञान दूनियाँ में किसी के पास भी नहीं है
ReplyDeleteअरे भाई उसको भजो जिसको कबीर भजते थे
Deleteराम नाम की लूट है लूट सके तो लूट फिर कब लूटेगा जब जाएगे॑ प्राण छूट केवल राम नाम सत राम ही सत साहेब है
गुरु रामानंद ने मन्त्र दिया राम नाम का
कहे कबीर ये संसार मेरे किस काम का
Abe ganwar anpadh jahil RAM,RAHIM,YESHU,SAHIB sab bibhin bhasan ke shabad swarup ek hi dhani h KABIR PARMESHWAR ko pukarne ki.
DeleteKabir,"Hindu khe mohi raam pyaari,turk khe rhmana;dou aapas mein ladi lade muhe(KABIR) bhed maram na jaana"
Purn Parmatma Kabir Saheb swayam khte h-"Ram Ram sare jagat bkhawe,Adi Ram(KABIR) koi birla jaane"
DeleteAdi Ram mane purnparmatma jo swayam KABIR SAHEB hi h
है तो बताओ
ReplyDeleteआप ज्ञान से बात कीजिए और
ReplyDeleteसंत रामपाल जी महाराज के साथ ज्ञान चर्चा कीजिए।
सत साहिब जी
ReplyDeleteज्ञान से बात कीजिए संत रामपाल जी महाराज से ज्ञान चर्चा कीजिए
ReplyDeleteधन्य हो
ReplyDeletePathar puje Hari mile to main puju pahad usse to vah chakki Bhli jisse piece khaya sansar
ReplyDeleteमहोदय आपका उद्देश्य सही होता तो आप क्षीर किए ज्ञान पर उंगली नही उठाता।
ReplyDeleteअध्यापक- आप उत्तम (नं1)नहीं हैं। आप डाॅक्टर नहीं,
ReplyDeleteकम्पाउण्डर बनेगें।
रामपालजी-आप अनुत्तम हैं। आपका सर्वनाश है।नरक में..
बेवकूफ रामपाल हमसे शास्त्रार्थ करे
ReplyDeleteतू पहले चेलों से ही निपट ले गधे
DeleteBeta थोड़ा और पढ़ ले तब
DeleteTu aur kitna baar swayam aur aarya samaji ko jahil sabit krega
Deleteतुम सब अपने कर्म बिगाड़ रहे हो भाई गीता को ढंग से पढ़ो
ReplyDeleteBilkul
Deleteतुम पंडित ही तो ये पब्लिक गधा नहीं
ReplyDelete👏 Sat sahib👏
ReplyDeleteकबीर गुरू बिन काहु ना पाया ज्ञान ज्यों थोथा भूस् चिड़े किसाना, गुरू बिन वेद पढे जो प्राणी समझे ना सार रहे अज्ञानी जगत गुरू तत्व दर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ही आज वर्तमान मे पूरी दुनिया मे एक सच्चे सन्त है अापको आज समझ मे आये या 10 साल बाद ये आपकी किस्मत की बात है
ReplyDeleteसब की फट चुकी है ये सोच कर की जेल मै बंद होने के बाद भी अच्छा खासा प्रचार कैसे हो रहा है लोग घटने की जगह 10 गुना तेजी से उनकी शरण में आ रहे है।
ReplyDeleteभगत लोगो समझो दुकान बंद हो रही है फड़फड़ा रहे है ये लोग
मुझे एक बात समझ मै नही आई की ब्रह्माविष्णु शंकर जी की उत्पती शिवपुराण के अनुसार शाम्भशदाशिव देवी शिवा से हुई है? या देविपुराण के अनुसार आदीभवानी जगदंबा से हुई?या शुकसागर के अनुसार कृष्ण जी से हुई? या विष्णु पुराण के अनुसार विष्णुजी स्वयंभू है ?तो क्या ये तीनो झुठ बोल रहे है या विष्णु पुराण मै झुठा लिखा है? क्यक्योकी तिन भाई है तो पिता भी तो एक ही होगा ना और शिवपुराण तो यह भी कह रहा है की ब्रह्मा विष्णुजी तुम दोनो इश्वर नही हो आखिर ये लफडा है क्या इन सब ग्रन्थो को लिखने वाला एक तो सब मै अलग अलग क्यो
ReplyDeleteएक बात बोलूं भाई तू फिर भी साबित नहीं कर पाया तो अपनी बनाई बनाई कहानी लेकर आया है रामपाल जी महाराज बिल्कुल एकदम सही है
Deleteइह) इस समय (लोकान्) इन लोकोंको (समाहर्तुम्) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः) प्रकट हुआ हूँ इसलिये
ReplyDeleteसीधा सा अर्थ है मैं इस समय प्रकट हुआ हूं मैं अब आया हूं Rishi log bhi Sanskrit Mein Hi Jante the उसे समझने के लिए वाह क्या करें हिंदी में लाए
यह सब काल की भांग पिए मस्त हैं इनको कुछ नहीं पता है पूरे विश्व में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जैसा ज्ञान किसी के पास नहीं है घुमा फिरा कर उटपटांग की बातें करते हैं जिस किसी शब्द का न सिर ना पैर
ReplyDeleteसत साहेब
ReplyDeleteजाकिर नाइक से डिबेट को कोई संत नही आया
ReplyDeleteकेवल संत रामपाल जी महाराज ही थे जिन्होंने उसे chalenge किया।
अब देवकीनंदन ठाकुर क्यों बोल रहा है संत रामपाल जी महाराज की भाषा, उसे भी ज्ञान हो गया कि गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म है न कि श्रीकृष्ण
ReplyDeleteकभी डिबेट कर लो संत रामपाल जी महाराज से
ReplyDeleteपीछे बोलने से क्या है जो गलत सावित हो जाये वो हार मानकर अपना कल्याण करवाये
अरे भाई कोई ज्ञानी ताडन का का अर्थ बताएगा क्या होता है । तुलसी दास
ReplyDeleteएक विचारणिय प्रश्न है वैद शास्त्र कहते है पूर्ण परमात्मा माता के गर्भ से जन्म नही लेता है तो क्षा श्री राम और श्री कृष्ण जी तो माता के गर्भ से जन्मे हे तो ये पूर्ण परमात्मा के से हुऐ । प्रमाण के लिए कृष्ण लीला देखे कंश के लिए क्या आकाशवानी हुई थी
ReplyDeletekal ke agents hai yeh log
ReplyDeletesat shin
Sabhi vedon Mein Praman Hai Kabir Sahib Bhagwan Hai Geeta yah Charon Ved 18 Puran 108 Upanishad aur aur Geeta Bible Quran Mein Praman Milta Hai Ki Kabir hi purn Parmatma Bhagwan Hai sat Saheb
ReplyDeleteबना ले बेवकूफ अब आप जैसे पंडितो की अज्ञान जनता समझ चुकी है सन्त रामपाल जी ने सभी अनुवाद स्पष्ट और सबूतों के साथ मे किया है।
ReplyDeleteइन पंडित लोगों ने 600 साल पहले परमात्मा कबीर साहेब आए थे तब भी यही कहा था किए संस्कृत नहीं जानता और यह पंडित लोग आज भी हमारे सद्गुरु रामपाल जी महाराज को यही कह रहे हैं के संस्कृत नहीं जान ते इन महामूर्ख पंडित लोगों को कौन समझाए कीजिए संसार को कैसे भ्रमित करते आ रहे हैं आज भी करना चाहते हैं मगर अब इनका दाव नहीं चलेगा क्योंकि युवा पीढ़ी शिक्षित है जनता पढ़ी लिखी है सब जानती है क्या सही क्या गलत है अब हम लोग दोबारा इनके बहकावे में नहीं आएंगे हमें जो शास्त्रों सहित साधना बताई गई है वही सही है वही पूर्ण मोक्ष दायक है हम वही करेंगे और अपने निजी स्थान सतलोक जाएंगे सत साहेब जय हो बंदी छोड़ की जय हो मेरे सतगुरु रामपाल जी भगवान की जय हो बंदी छोड़ दया करियो दाता यह पंडित लोग भी आपके ही बच्चे हैं दया करी हो दाता दया करी बताता सत साहेब
ReplyDeleteसुनो रे संत रामपाल जी के विरोधी में सतलोक आश्रम से जुड़ा नहीं हू पर संत रामपाल जी के ज्ञान से सहमत हूं
ReplyDeleteतुम सब काल के दूत हो जो संत रामपाल जी का विरोध कर रहे हैं
और तुम सब की मां की ठीक😆
संत सुधार जाओ बहन के लवडो
मैं जानता हूं कि तुम लोगों से प्यार से बात करना ठीक नहीं है इसलिए तुम सब मां बहन एक करनी पड़ रही है
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की जय 👏👏👏👏
Shivmochan ji jagannath mandir to jante hi hoge waha Kabir ji n banwaya wha chhuva chhut nhi hai, wha k pandito k sath kya hua tha pta Krna
ReplyDelete