रोटी सामने पड़ी है । दो भूखे खड़े हैं ।
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भाग -०१ देखिये -
दोनों एक दूसरे की भूख का विवेक करते हुए एक- दूसरे को रोटी समर्पित कर दें, तो सतयुग ।
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इसके स्थान पर , दोनों आधा -आधा कर के खायें तो त्रेतायुग ।
पर दोनों में एक अधिक दूसरा कम खाये तो द्वापरयुग ।
दोनों झपट्टा मारकर पहले खा लें तो कलियुग ।
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भाग -०२ देखिये -
अब घटना होने के बाद निर्णय होता है । निर्णायक रोटी स्वयं है । पेट में आती है और अपना प्रभाव दिखाती है।
[अन्न को ब्रह्म जानना ! - शास्त्र ।। ]
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*संसार ईश्वरीय प्रशासन में गतिमान् है । विद्वान् ईश्वरीय अनुशासन के अनुकूल होकर चलता है , मूर्ख प्रतिकूल चलकर अपने पॉव पर कुठाराघात करता है ।*
।। हर हर महादेव ।।
।। जय श्री राम ।।
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