#पूर्वपक्ष - जन्मकालिक स्पष्ट ग्रह से आवेदित शुभाशुभ फल का उलंघन कठिन होने से मुहूर्तादि शुभकाल को जानना व्यर्थ है |
#उत्तरपक्ष - यद्यपि जन्मकालिक स्पष्टग्रह वशात् जातक को शुभ, अशुभ, शुभाशुभ त्रिविध फल भोगना अनिवार्य है, तथापि कार्यों में शुभ कालजनित अपूर्व फल से जन्मान्तरीय कर्मजन्य शुभाशुभ फल का उपशमन होकर नया प्रारब्ध बन जाता है, उसका फल तत्काल भोगना पड़ता है| अत: सब जीवों के लिए शुभ समय देखना आवश्यक है | यथा सत्याचार्य -
शुभक्षणक्रियारम्भजनिता: पूर्वसम्भवा: |
सम्पद: सर्वलोकानां ज्योतिस्तत्र प्रयोजनम्|| इति
यथोक्तं दैवज्ञेन गोविन्दज्योतिर्विदेन - ननु जन्मकालीनखेचरावेदितशुभाशुभं दुरतिक्रममिति विवाहलग्नानर्थक्यमिति चेन्न| ज्यौतिषस्मृत्यावेदितशुभसमयारब्धविधिजन्यापूर्वजनितशुभफलेन जन्मान्तरीयदुरष्टध्वंसो भवतीत्येवमर्थतया सार्थक्यात् |
जय श्री राम
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