तीन वंश है सूर्य/चन्द्र/अग्निकुल इनमे जितने आते है सब क्षत्रिय है। बाकी इनकी सहायक उपजातिया है। जब बड़े बड़े राज्य समाप्त होने लगे अर्थात चक्रवर्तियो की संख्या कम होने लगी तब आर्यो का भूभाग छोटे छोटे अनेक शक्तिशाली(पर चक्रवर्ती लक्षण वाले नही) समूहों का अधिकार हो गया। अपने को इन तीन वंश की शाखा का ही बताने हेतु बड़े राजाओ से सम्बन्ध दिखाने को स्वयं को राजपुत्र घोषित करने लगे। वो ही धीरे धीरे राजपूत हो गया।। बाकी राजपूत क्षत्रियो का कोई गोत्र नही होता, जो गोत्र होगा वो उनके कुल ब्राह्मण का ही गोत्र होता है।
चार हुतासन सों भये कुल छत्तिस वंश प्रमाण
भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान
चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."
अर्थ:-दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय दस चन्द्र वंशीय,बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है,बाद में भौमवंश नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।
सूर्य वंश की दस शाखायें:-
१. कछवाह२. राठौड ३. बडगूजर४. सिकरवार५. सिसोदिया ६.गहलोत ७.गौर ८.गहरवार ९.बल्ला १०.वैस
चन्द्र वंश की दस शाखायें:-
१.जादौन२.भाटी३.तोमर४.चन्देल५.छोंकर६.झाला७.सिलार८.वनाफ़र ९.कटोच१०. सोमवंशी
अग्निवंश की चार शाखायें:-
१.चौहान२.सोलंकी३.परिहार ४.पमार.
ऋषिवंश की बारह शाखायें:-
१.सेंगर२.दिक्खित३.गर्गवंशी(हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त के वंशज)४.दायमा५.गौतम६.अनवार (राजा जनक के वंशज)७.दोनवार८.दहिया(दधीचि ऋषि के वंशज)९.चौपटखम्ब १०.काकन११.शौनक १२.बिसैन
चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-
१.हाडा २.खींची ३.सोनीगारा ४.पाविया ५.पुरबिया ६.संचौरा ७.मेलवाल८.भदौरिया ९.निर्वाण १०.मलानी ११.धुरा १२.मडरेवा १३.सनीखेची १४.वारेछा १५.पसेरिया १६.बालेछा १७.रूसिया १८.चांदा१९.निकूम २०.भावर २१.छछेरिया २२.उजवानिया २३.देवडा २४.बनकर
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