भगवान के अवतार असंख्य है , उनके
अवतारो की गिनती न
हो सकती है और न होगी ,अग्नि पुराण
कहता है कि ,
" अवतारा असंख्याता अतीतानागदादयः "
(अ.पु.16/12)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
पूजा आदि में सिर नहीं ढंका चाहिए
शास्त्र प्रमाण:- उष्णीषो कञ्चुकी चात्र मुक्तकेशी गलावृतः । प्रलपन् कम्पनश्चैव तत्कृतो निष्फलो जपः ॥ अर्थात् - पगड़ी पहनकर, कुर्ता पहनकर, नग...
-
जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते। वेदपाठाद् भवेद् विप्रः ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः।। इसके आधार पर यदि आप इसका ये अर्थ करतें हैं क...
-
रामपाल तो सामने आने से रहा , तथापि रामपाल के कथित चेलों के माध्यमेन इसे सामने ( लाइन हाजिर ) लाकर इसकी पोल खोली जा रही है , य...
-
#पूर्णपात्र_रहस्य यज्ञ में ब्रह्माजी का पद सबसे वरिष्ठ होता है ।यह सृष्टि भी यज्ञस्वरूप ही है। #यज्ञेन_यज्ञमयजन्तदेवा:...... यह सृष्टि ...
No comments:
Post a Comment