व्यक्ति की पहचान उसके किये जाने वाले कर्म कराते हैं , कि वह व्यक्ति है क्या ! इसलिये एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को उसके कार्यों से समझना चाहिये , अन्यथा वाणी तो छलिये, स्वार्थी और षडयन्त्रकारी भी बहुत अच्छी बोल लेते हैं ।
व्याध बहुत सुन्दर तन्त्री बजाता है , जिससे मृग मुग्ध होकर उसके पास आता है । पर इस तन्त्रीवादन के बल पर जब वह उस मुग्ध मृग को बॉधकर उसकी हत्या करता है , तब उसके नीच /पापी होने की सिद्धि होती है ।
।। जय श्री राम ।।
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