यथार्थ वक्ता आप्त कोटी में आता है उसका कथन सर्वथा मान्य होता है |
किसी भी आयुवृद्ध (बडे-वुजुर्ग ) का कथन शास्त्र के विरुद्ध मान्य नहीं होता है |
कोई भी शास्त्र विरुद्ध कहेगा तो मूर्ख ही कहलाऐगा |
श्रुति + स्मृति रुपात्मक नेत्र रहित ब्राह्मण #अंधा होता है | वह भला क्या मार्ग दिखलाऐगा तुम्हें ?
आयुवृद्ध, धनवृद्ध आदि ज्ञानवृद्ध के द्वार में नौकर की तरह खडे रहतें है |
अत: ज्ञानवृद्ध की महिमा सबसे बढकर कही है |
बुद्धिमान् ब्राह्मण को चाहिए कि शास्त्र विरुद्ध किसी की भी न माने |
शास्त्र मार्ग में चलने वाले मनुष्य समुदाय को #समाज कहा जा सकता है | मनमाने मार्ग पर चलने वाले को #समज (पशु समुदाय) कहना उचित है |
नोट - यह लेख किसी व्यक्ति विशेष , वर्ग, या किसी अन्य के लिए नहीं लिखा है | यह स्वान्त: सुखाय व अपने शास्त्रनिष्ठ मित्रों के लिए है |
जय श्री राम
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