Sunday, 3 September 2017

शास्त्रमार्ग पर चलना ही श्रेष्ठ है

मनुष्य  असत्य बोलकर संसार को तो भ्रमित कर सकता है, किन्तु दैवीय शक्तियों को नहीं ।  संसार के सम्मुख खूब दिखावा कर सकता है  किन्तु दैवीय शक्तियॉ जानती हैं कौन क्या है क्या नही । इस संसरणात्मक अनित्य संसार में  किसी न किसी निश्चित समय तक  ही उसका पाखण्ड रहता है , तदनन्तर जल में खींची गयी रेखा की भॉति वह साम्राज्य विलुप्त हो जाता है ।

ये संसार दैवीय शक्तियों से चल रहा है , इसका एक एक अणु शक्तिमय है ।

इसलिये यहॉ विजय  अन्ततः  सत्य की , धर्म की , ज्ञान की  ही होती है  और जो धर्म की अवहेलना करते हैं , उनको  इहलोक या परलोक में कठोर   दण्ड अवश्य  मिलता है ,  दिव्य शक्तियॉ किसी का  कोई  लेन-देन अधूरा नहीं रखतीं ।

#ते_ध्यानयोगानुगता_अपश्यन्_देवात्मशक्तिं_स्वगुणैर्निगूढाम् ।

(श्वेताश्वतरोपनिषत् १|३)

अतः जो विद्वान् पुरुष हैं , उनको सदैव  शास्त्र के मार्ग पर  ही चलना चाहिये ।

।। जय श्री राम ।।

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