#भ्रम -
मैं ज्योतिष को नहीं मानता | इस काल में ये न करो वो न करो ..... | सब काल ठीक ही बनाया है भगवान् ने | कोई भी काल गलत नहीं है |
#निवारण -
प्रथम तो यह जान लो कि ज्योतिष है क्या ? यथा -
#शिष्यते_अनेन इति , #शासति_त्रायते_चेति_वा_शास्त्रं भवतीत्यत: अनेन वेदोक्तकर्मयोग्यकाल: शिष्यते, बोध्यते इति | शुभकर्मयोग्यकालं शास्ति तस्मात् अयोग्यकालकरिष्यमाणशुभकर्मोत्थात्धर्मात् त्रायते चेति |
यत: प्रत्येक काल हर कार्य के लिए उचित नहीं होता अत: किस काल में कौन सा कार्य करना शुभ है यही तो ज्योतिष नियमित करता है | इसीलिए इसे #कालविधानशास्त्र भी कहतें हैं |
लोक में ही देख लो यथा - शिशिर हेमन्त में गोधूम उचित है न कि मक्की बीजना |
अपि च अयोग्य काल में किए गए शुभकर्म से उत्पद्यमान अधर्म से यह शास्त्र हमारी रक्षा करता है अत: कौन सा वैदिक कर्म कब करना है इसका सम्यक् विधान यह शास्त्र करता है |
यथा - श्रुति कहती है रोहिण्यामग्नीमादधीत... इति यहां रोहिणी नक्षत्र द्वारा काल सूचित किया है | तदर्थ ज्योतिष मात्र शरण है |
अत: ज्योतिश्शास्त्र काल को गलत नहीं कहता प्रत्युत कर्मानुसार योग्यायोग्य काल का विधान करता है |
जय श्री राम
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