ये बड़ा भारी भ्रम हिन्दुओं में है कि वैदिक मांसभक्षणविधान की बात पर समाज मांसाहारी हो जायेगा , और व्यर्थ में पशुहिंसा करेगा जबकि यथार्थता ये है कि वैदिक विधान के अवतरण से समाज में से हिंसा अभक्ष्य भक्षण जैसी कुरीतियों पर अंकुश लग जायेगा !
तुम लोगों ने शास्त्रीय विधानों को धूलि धूसरित करके क्या ध्वज गाड़ लिया ? क्या हिन्दू का मांसाहार पशुहिंसा बन्द हो गयी ? गलत रीति से भला कभी सही लक्ष्य मिलता है ? पहले जो मन्दिर में महीने की निश्चित तिथियों में आकर बलि विधान का पालन करते थे , अब होटलों में आये दिन खचाखच काट कर खा रहे हैं ! सुधार तो हुआ नहीं , पतन और हो गया ! ये वैजिटेरियन और नॉनवेजिटेरियन - विदेशियों के लाये भ्रामक शब्द हैं ! हमारी भारतीय परम्परा भक्ष्यान्न अभक्ष्यान्न की है , शाकाहार या मांसाहार की नहीं !!
लोहे को लोहा ही काटता है ! लोक में जो लोग पशुहिंसा या अभक्ष्य भक्षण करते हैं वे शास्त्र देखकर ये सब नहीं करते , अपितु प्रवृत्ति निमित्तक उनका ये कार्य है ! शास्त्र तो शासन / अनुशासन का नाम है , वह शिष्ट और अनुशिष्ट दोनों बनाता है !
प्रवृत्तिरेषु भूतानाम् - ऋषि - मुनियों ने ऐसे ही सूत्र नहीं कहा था ! सर्वहिताय सर्वसुखाय शास्त्रीय विधान हैं ! विषबाधाहरण करने जैसी प्रत्यक्ष सामर्थ्य रखने वाले अलौकिक वेद मन्त्रों के दिव्य प्रताप से न किसी पशु को क्लेश होता न यजमान का पतन होता वरन् दोनों का उत्थान होता ! ( अचिन्त्यो हि मणिमन्त्रौषधयः प्रभावः) भोगी को भी योगी बनाने की विद्या कर्मकाण्ड है ! पतित पामर का उत्थान कर उसे देवत्व प्रदान करने की विद्या का नाम कर्मकाण्ड है | विधि-निषेधमय कलिमल हरनी | करमकथा रबिनन्दनि बरनी ||
जो निवृत्तिमार्गी थे वे ऋषि - मुनि तो प्राचीन काल में भी तीन वर्ष पुराना जौं विधिपूर्वक खा कर जीवन निर्वाह करते थे , वायु , जल, और सूर्य रश्मियों पर उनका जीवन था ! कहीं किसी प्रकार की हिंसा न हो , इस हेतु खेचरी जैसी अनेक विद्याऐं वे जीवन में धारण करते , जो आज भी निवृत्तिमार्ग पर चले , तो किसने रोका है ? शास्त्र तो घोषणा करके कहता ही है कि निवृत्तिमार्ग महान् फल वाला मार्ग है , #निवृत्तिस्तु_महाफला || ( मनु०५|५६) पर निवृत्ति का नाम जप कर दबे पॉव प्रवृत्तिमार्ग पर चल रहे छद्म धार्मिकों का मुखौटा उतारना तो आवश्यक ही है ! ये छद्म धर्माचार्य लोग अपने आप तो स्वयं डूबे ही, चार को और ले डूबे !
अज्ञानप्रभाव से विश्वव्याप्त सनातन हिन्दू धर्म जीर्णशीर्ण हो गया !
|| जय श्री राम ||
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