Monday, 25 September 2017

उपनयन_का_महत्व_अधिकारी_व_कालनिर्णय


👉 व्रतबन्ध, यज्ञोवीत, जनेऊधारण, मौञ्जीबन्धन आदि इसके नाम प्रसिद्ध है।
👉 यह मुख्य व उत्तम वैदिकदीक्षा है।
👉 इस संस्कार से संस्कृत शरीर इस लोक व परलोक में क्रमश: वेदाध्ययनादि व कर्म्मफलोपयोग से पावन होता है।
👉 यह संस्कार द्विजत्व का कारण है।
👉 श्रौत स्मार्त्त कर्म प्रसाधनभूत यह कर्म है।
👉 ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इसके अधिकारी है।
👉 शूद्र व किसी भी जाति की स्त्री को इसका अधिकार शास्त्रोक्त नहीं हैं।

#कालनिर्णय :-- "तस्य कालस्त्रिविध: - नित्य: काम्यो गौणश्च।" अर्थात् उपनयन काल तीन प्रकार का है। १. नित्य, २. काम्य, ३. गौण ।

१. #नित्यकाल :- अत्र नित्यं तावदुच्यते। विप्राणां ब्राह्मणानां गर्भाष्टमे...........।

अर्थात् ब्राह्मणों के गर्भाधान अथवा जन्मकाल से 8 वें वर्ष, क्षत्रियों के 11 वें वर्ष, तथा वैश्यों के 12 वें वर्ष #उपनयन का #नित्यकाल है।

२. #काम्यकाल :- अथ काम्यं - विप्राणामेव पञ्चमे गर्भाज्जनेर्वा वर्षे.............।

#ब्रह्मवर्चसकामस्य_कार्यं_विप्रस्य_पञ्चमे।
#राज्ञो_बलार्थिन: #षष्ठे_वैश्यस्यार्थार्थिनोsष्टमे।।
                ____ मनु २/३७
अर्थात् ब्रह्मवर्च्चस् (स्वाध्यायतप से उत्पन्न तेज )कामना करने बाले ब्राह्मण को 5वें वर्ष, बलार्थि क्षत्रिय को 6वें वर्ष, अर्थार्थि वैश्य को 8वें वर्ष उपनयन करना उचित है।

३. #गौणकाल :- निगदिते "गर्भाज्जनेर्वाष्टमे.." इत्यादिके काले तस्मिन् #द्विगुणिते....।
#आषोडशाद्ब्राह्मणस्य_सावित्री_नातिवर्त्तते।
#आद्वाविंशात्_क्षत्रबन्धोराचतुर्विंशतेर्विश:।।
                   ___ मनु २/३८
अर्थात् नित्यकाल में यदि संस्कार न हुआ हो तो उससे द्विगुणित काल में उपनयन कर ही देना चाहिए। यथा ब्राह्मण का नित्यकाल 8 है तो 16 वर्ष द्विगुणित हुआ अत: 16वें वर्ष में उपनयन विप्र को कर देना चाहिए। अन्य क्षत्रियादि में भी ऐसा ही समझे। इससे अधिक आयु में उपनयन नहीं होता।

👉 यदि उपरोक्त नित्य, काम्यादि काल में ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि का उपनयन न हुआ हो तो वह असंस्कृत सावित्रीपतित #व्रात्य होतें हैं। इन व्रात्यों के साथ वेदाध्ययनादि कार्य, कन्यादान एवं पाक-सम्बन्ध आपत्तिकाल में भी नहीं करना चाहिए। जैसे याज्ञवल्क्य ने कहा :--

#अत_ऊर्ध्व_पतन्त्येते_सर्वधर्मबहिष्कृता:।
#सावित्रीपतिता_व्रात्या_व्रात्यस्तोमादृते_क्रतो:।।

..........यदि व्रात्य उपनयनादि चाहे तो #व्रात्यस्तोम यज्ञ द्वारा यह सम्भव है। अन्यथा नहीं।
  
जय श्री राम

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