ज्योति:शास्त्र के फलात्मक स्कन्ध में #वर्ण राशियों व ग्रहों का होता है | राशियों का वर्ण यथा -
#द्विजा_झषालिकर्कटास्ततो_नृपा_विशोsड्.#घ्रिजा: |
----- मु.चि. 6/22
इत्यादि से जो उस जातक की राशि सदृश वर्ण कहा जाता है वह -
#वर्णो_वश्यं_तथा_तारा_योनिश्च_ग्रहमैत्रकम् |
इत्यादि अष्टकूट के लिए होता है |
ग्रहों का वर्ण हृतनष्टादि वस्तु के प्रश्न में विचार्य होता है |
यहां दोनों से जातक के वर्ण में भेद रहे तो राशि व राशीश में से किसका ग्रहण करना चाहिए ? तो कहा राशीश का ही |
राशि व राशीश से जो वर्ण है वह आदेशार्थ है |
गुण कर्म से जो श्रुतिस्मृत्योक्त वर्ण है वह जाति को द्योतित करता है |
जय श्री राम|
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