Monday, 9 April 2018

अधिकारभेद से उदेश करना

अधिकारीभेद से उपदेशभेद होता है । 
जैसा कि गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा है-

मूरख हृदय न चेत, जो गुरु मिलहिं विरंचि सम।।

फूलहिं फलहिं न बेंत, जदपि सुधा बरसहिं जलद।।

जलधर मेघ समस्त धरा पर समान रूप से जलवृष्टि करता है , तथापि कुछ बीज अंकुरित होकर फलित हो जाते हैं तो कुछ व्यर्थ ही गीले रह  जाते है , इसमें मेघ का क्या दोष ?

//किन्तु आपने यह नहीं बताया कि ..///

हमने उतना ही बताया है जितना पचा सको तो वही पोषक हो जाये, किन्तु उतने पर ही अपच हुआ दीखता है  आपमें , अतः हमारा निर्णय सही है आपके प्रति ।

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