जब एक ग्रास खाओ अन्न का तो ध्यान में रखना ! ये दाने नहीं , ये ऋण की पोटलियॉ हैं ! जो आप खाने जा रहे हो !
ऋणी हो धरती के, ऋणी हो देवताओं के , ऋणी हो हरेक उस प्राणी के जिसके लिये ये दाने बने हैं !
और ऋणी तो सबसे अधिक उस परमात्मा के हो जिसने तुमको बनाया , और तुम्हारे लिये सब को बनाया !
कैसे चुकाओगे ऋण इतना भारी ?
देखो ! परमेश्वर की दयालुता , तुम कहीं ऋणी ना रह जाओ , तुम्हारे लिये वेद का ज्ञान प्रगटाया , और तुम ऋणों से उऋण हो सको , इसके लिये तुमको उसी वेद से यज्ञ की विद्या का बोध कराया !
वेदों ने स्वयं को पता है क्या कहा है , वे कहते हैं कि हम उस सर्वात्मा सर्वेश्वर परमात्मा की सॉसें हैं , जो तुम्हारे लिये प्रगटे हैं !
आहा ! कितनी करुणा , कितना प्रेम , कितना अपनत्व है परमेश्वर का कि उसनी अपनी श्वांसे ही तुम्हारे नाम कर दीं ! प्रीत की रीत रंगीलो ही जानै !
इसलिये हे अग्रजन्मा ब्राह्मण !
भोजन करने से पूर्व सदैव पहले #बलिवैश्वदेव_यज्ञ करो , और यज्ञ से ही इस यज्ञपुरुष परमेश्वर की आराधना , जिसने तुम्हारे लिये इतना विराट् अनुष्ठान सम्पन्न किया है !
#यज्ञ - यही तुम्हारा प्रथम धर्म है !
।। जय श्री राम ।।
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